न पीने की क़सम जब से उठा ली आपकी ख़ातिर |
बड़ी मुश्किल में अपनी जान डालीआपकी ख़ातिर ||
कहीं दामन पे कोई हर्फ़ आजाये न बातों से |
ज़बां दाँतों तले हमने दबाली आपकी ख़ातिर ||
हमेशा आपके आगे करूँ औरों की अनदेखी |
तभी तो मुझको देते लोग गाली आपकी ख़ातिर ||
अगरचे काम इतना है कि फ़ुर्सत ही नहीं मिलती |
मगर बैठा मिलूंगा रोज़ ख़ाली आपकी ख़ातिर ||
रक़ीबों का हमें डर था तो हमने छोड़ दी धरती |
चलो अब चाँद पर दुन्या बसाली आपकी ख़ातिर ||
मुझे दीवानगी ने इश्क़ की बेहाल कर डाला |
लगूं मैं आजकल सबको मवाली आपकी ख़ातिर ||
गली में जब मेरी आते हो झगडा लोग करते हैं |
कभी ख़ंजर कभी चलती दुनाली आपकी ख़ातिर ||
सितम एसा न करना टूट कर इक दिन बिखर जाए |
नयी दिल में जो अब उम्मीद पाली आपकी ख़ातिर ||
तरसता हूँ चले आओ सभी रस्तें खुले घर के |
सभी रस्तों पे आँखें हैं बिछाली आपकी ख़ातिर ||
तुम्हारी सम्त जायेगी न अब तो एक भी आफ़त |
सभी सीने से जो हमने लगाली आपकी ख़ातिर ||
किसी के दर पे माथा आज तक टेका नहीं लेकिन |
बनेगा सैनी हर दर पर सवाली आप की ख़ातिर ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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