सोते हुए ज़िंदगी काट दी |
खोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
काँटे सदा दूसरों के लिए |
बोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
देखा नहीं हँस के पल एक भी |
रोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
इतने किये पाप मैंने जिन्हें |
ढ़ोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
दामन रहा दाग़दार इस तरह |
धोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
कमज़ोर दिल और लाचार तन |
होते हुए ज़िंदगी काट दी ||
जागे रहे आप मैंने मगर |
सोते हुए ज़िंदगी काट दी ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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